
Lucknow, Parag Kumar. आजकल मई-जून की उमस भरी गर्मी और जबरदस्त तपिश के चलते हर इंसान सुकून की चाहत में पहाडा़ें का रूख करना चाह रहा है, जिससे गर्मी से राहत मिल सके। लेकिन रेलवे और परिवहन विभाग की लापरवाही के चलते लाेगाें पर मुसीबताें का पहाड़ टूट पड़ा है ।
मालूम हाे कि दिल्ली, जम्मू और देहरादून की ओर जाने वाली कई ट्रेनें लखनऊ-वाराणसी रेलखंड पर नॉन इंटरलॉकिंग काम के चलते निरस्त की गई हैं जिससे वापसी में ट्रेनाें के कंफर्म टिकट के लिए यात्री परेशान हाे रहे हैं और रिफंड के लिए भटक रहे हैं ।
देहरादून जाने वाली दून एक्सप्रेस और जनता एक्सप्रेस भी 29 मई से 02 जून तक नहीं चलेगी। नतीजतन सैकड़ों यात्री परेशान हैं, न ताे उनकी काेई सुनने वाला है और न ही काेई उपाय बताने वाला है । ऐसे में सबसे अधिक परेशानी जम्मू या उत्तराखंड से आने वाले उन यात्रियाें काे है जिनकी ट्रेन रद्द हाेने से सब पशाेपेश में पड़ गए कि अब आखिर इतनी जल्दी कैसे कंफर्म टिकट मिलेगा और कैसे वे अपने घराें काे जा सकेंगे। जो लोग अपने परिवारों के साथ हैं, उनकी मुसीबत और बढ़ गई है।
इतना ही नहीं बस चालक पर कार्रवाई हाेने के बाद अवध डिपाे की दाे दर्जन से ज्यादा ऑनलाइन बसें भी रद्द कर दी गईं, जिसके कारण बसें लखनऊ के चारबाग बस अड्डे से नहीं चली और कैसरबाग बस अड्डे की बसें भी खड़ी रहीं। यात्रियाें काे अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी, वहीं लाखाें रूपये टिकट रिफंड के भी फंस गए। परेशान यात्रियाें की व्यथा सुनने वाला काेई नहीं है। आखिर अचानक ऐसा क्याें हुआ रेलवे को और मजबूरी में अगर ऐसा करना भी पड़ा ताे उसका उत्तरदायी काैन है। इसका उत्तर किसी के पास नहीं है और न ही काेई कुछ बताने काे तैयार है।
रेलवे सुविधाओं के नाम पर हर साल बजट में किराया में वृद्धि तो कर देता है, लेकिन सुविधाएं तो छोड़िए जनाब यहां ट्रोनों के कैंसिल होने के कारणों को बताने वाला कोई नहीं है, ऊपर से रिफंड के लिए चक्कर लगाओ वो अलग। हाईटेक होते रेलवे को गर्मी के पीक सीजन में देहरादून और जम्मू जाने के लिए अलग से व्यवस्था करनी चाहिए थी, लेकिन यहां तो जो ट्रेन चल रही थी उसे ही कैंसिल कर दिया गया। ऐसे में बेचारा यात्री अपनी फरियाद लेकर जाये तो कहां जाये।